रुद्राक्ष के जन्मदाता भगवान शिवशंकर है रूद्र का अर्थ ही शिव है । प्राचीन
काल से भारत के पौराणिक ग्रंथों में रुद्राक्ष का वर्णन व माहात्म्य चला आ रहा है
।अनेक प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन पाया जाता है और बहुत काल से साधु सन्यासी
इसे धारण करते आ रहे हैं ।धार्मिक समाज के लिए रुद्राक्ष नई बात या आश्चर्य नहीं
है
शिव सबके हैं शिव की दृष्टि कल्याणमय है, भक्तों से शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले
देव हैं इसलिए शिव जी ने कल्याण रूपी फल के रूप में रुद्राक्ष को उत्पन्न किया है
।रुद्राक्ष शिव के शृंगार में प्रमुख है ।रुद्राक्ष के फल को शिव पूजन पद्धति में
साक्षात विग्रह के रूप में माना गया है। प्रत्येक वर्ग,धर्म,जाति का व्यक्ति रुद्राक्ष धारण कर
सकता है इसमें किसी प्रकार का कोई बंधन नहीं है एक भिक्षुक भी रुद्राक्ष धारण करता
है और शीर्ष राजनेता भी रुद्राक्ष धारण करते हैं।
जिस प्रकार शिव सर्पो को शरीर में लपेटे हुए नाना प्रकार के विभिन्न गणों
को संग लिए हलाहल पिए रुद्राक्ष धारण कर निर्विघ्नं बैठे रहते हैं उसी प्रकार साधक
भी कंठ में रुद्राक्ष धारण कर इस भवसागर में हर प्रकार के सर्प रूपी प्राणियों के
बीच अपने जीवन की अलख जगाए रखता है ।अध्यात्मिक समस्याएं , तंत्र मारण मोहन उच्चाटन इत्यादि जैसे
अभिसार कर्मों से साधक को सुरक्षित रखने का कलयुग में यह एकमात्र तरीका है
रुद्राक्ष धारण करना ।रुद्राक्ष धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण
विभिन्न प्रकार के फल देने वाला एक अद्भुत फल है।
रुद्राक्ष में धारियां होती हैं इन्हीं को रुद्राक्ष का मुख कहा जाता है ।
पांच मुखी रुद्राक्ष में पांच धारियां होती हैं, 14 मुखी रुद्राक्ष में 14 धारियां पाई जाएंगी ।रुद्राक्ष का उपरी
हिस्सा ब्रह्मा है मध्य भाग में शिव निचले भाग में विष्णु स्थापित है
रुद्राक्ष के फल के बीच जो छिद्र है उसे देव मार्ग कहा जाता है । रुद्राक्ष एवं
मनुष्य का मस्तिष्क एक जैसे दिखते हैं प्राकृतिक प्रकोप से ज्यादा खतरा नहीं है
क्योंकि वह तो कभी कभार होते हैं परंतु मस्तिष्क के अंदर उठने वाले ज्वालामुखी
आंधी-तूफान आंतरिक सुनामी लहरें ज्यादा खतरनाक है इन सब आंतरिक प्रकोप के नियंत्रण
करने के लिए रुद्राक्ष श्रेष्ठ है
रुद्राक्ष अकाल मृत्यु को दूर करने में तथा दीर्घायु प्रदान करने में सक्षम
है
यह जातक
को धन ऐश्वर्य आनंद देने में समर्थ है
योगी और
सन्यासियों को धर्म और मोक्ष देने में समर्थ है तथा कुंडलिनी जागरण में सहायक है
जाने
अनजाने दैहिक भौतिक व्याधियों को दूर करने में समर्थ है
इसको
पहनने से मन को शांति प्राप्त होती है
व्यवसाय
में उन्नति प्रदान करने में यह सहायक होता है
एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव स्वरूप है और दुर्लभ है
। ऐसा कहा जाता है कि यह जिसके घर में होता है उसे जीवन में किसी प्रकार का कोई
अभाव नहीं रहता । एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से चित्त में प्रसन्नता, अनायास धन की प्राप्ति ,रोग कष्ट पीड़ा से
मुक्ति और जीवन में मनोवांछित इच्छाएं पूर्ण होती हैं ।ऐसा कहा जाता है माता
लक्ष्मी का स्थाई रूप से निवास होता है। ऐसा माना जाता है कि एक मुखी रुद्राक्ष
धारण करने के पश्चात बड़े से बड़े पापों का नाश होता है। जिस किसी की कुंडली में
सूर्य कमजोर हो हड्डियों के संबंधित रोगों ,नेत्र
संबंधी रोगों ,सिर में दर्द रहता हूं , तेज बुखार आता हो ऐसे
व्यक्ति को एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से
उच्च पद ,मान सम्मान में वृद्धि
होती है, व्यापार आदि में तरक्की
होती है ,दरिद्रता का नाश हो कर
लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । भगवान शंकर की प्रसन्नता के लिए एक मुखी रुद्राक्ष
धारण करना चाहिए ।इंडोनेशिया
में पाया जाने वाला एक मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव की तीसरी आंख के बनावट जैसा ही है
और अत्यंत ही प्रभावशाली है ये दाना आकार में छोटा होता है।
दो मुखी रुद्राक्ष अर्धनारीश्वर स्वरूप है । इसे शिव
शिवा भी कहते हैं । इस रुद्राक्ष का संचालक ग्रह चंद्रमा है चंद्रमा मन का
कारक है कहा जाता है मन चंगा तो कठौती में गंगा जिसका मन स्वस्थ है उसके जीवन में
सफलता आती ही रहती हैं । 2 मुखी रुद्राक्ष हर
प्रकार के रिश्तो में एकता बढ़ाता है, मानसिक शांति व ध्यान
में एकाग्रता की वृद्धि करता है ।इच्छा शक्ति पर नियंत्रण बढ़ाता है ।
बाई आंख में कमजोरी हो जल संबंधी रोगों का कष्ट हो, मासिक
संबंधी रोगों ऐसे रोगों में दो मुखी रुद्राक्ष सहायक होता है इसके धारण करने से
गोवध पाप दूर हो जाता है
तीन मुखी रुद्राक्ष साक्षात् अग्नि का स्वरुप है यह
स्त्री हत्या इत्यादि पापों को दूर करने वाला है। इसको पहनने से शीत ज्वर ठीक हो
जाता है। इसको पहनने से व्यक्ति क्रियाशील रहता है ।यदि नौकरी पाने में व्यवधान आ
रहे हो तो इस रुद्राक्ष को पहन के लाभ प्राप्त किया जा सकता है। निम्न रक्तचाप के
लिए यह रूद्राक्ष काफी उपयोगी है। इसको पहनने के पश्चात वात पित्त कफ शरीर में
तीनों दोषों का अनुपात उचित तरीके से संचालित रहता है जिस कारण मनुष्य निरोगी तथा
प्रसन्न रहता है
चार मुखी रुद्राक्ष ब्रहमा का प्रतीक है। दिन के
चारों पहर में ,जीवन की चारों अवस्थाओं
में यह रूद्राक्ष व्यक्ति की सहायता करता है ।विपत्ति काल में व्यक्ति की पहचान
होती है इसलिए कहा गया है धीरज धर्म मित्र और नारी आपत्ति काल परखिए चारी ,जो चंचल है छोटी-छोटी
बातों पर समस्याओं के आने पर आवेश में आकर उचित अनुचित का ध्यान ना करते हुए अपने
और अपने परिवार का अंत कर लेता है, ऐसे व्यक्ति को 4 मुखी रुद्राक्ष अवश्य
धारण करना चाहिए। शिक्षा प्राप्ति में यह रिश्ता एक विशेष सहायक है। जिस स्मरण
शक्ति कमजोर हो उसके लिए रुद्राक्ष काफी सहायक होता है। धर्म काम अर्थ और मोक्ष की
प्राप्ति हेतु इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। चार मुखी से वाणी में मधुरता और
उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है लेखक कलाकार विज्ञानी विद्यार्थी और
व्यापारियों के लिए लाभकारी है
पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना
जाता है। यह पंच ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक भी है। पंचमुखी को धारण करने से
स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती है,संतोष
की प्राप्ति होती है
छह मुखी रुद्राक्ष गणेश और कार्तिकेय स्वरुप है। इस
के धारण करता के लिए गौरी विशेष रूप से वरदायिनी और माता की भांति सदैव सुलभ होती
हैं। इस रुद्राक्ष को पहनने से ज्ञान की प्राप्ति होती है ।इच्छा शक्ति में वृद्धि
होती है। जो लोग पुलिस ,आर्मी में हैं उन्हें
इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए ।जो लोग कंपटीशन की तैयारी कर रहे हो और मानसिक
रुप से हताश हो ऐसे लोगों को 6 मुखी रुद्राक्ष धारण
करना चाहिए । ऐसे लोग जो छोटी-छोटी बातों पर घबरा जाते हो ऐसे लोगों को 6 मुखी रुद्राक्ष धारण
करना चाहिए
अनंगस्वरुप, सप्तर्षियों का प्रतीक
यह रूद्राक्ष अल्प समय में ही महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त कराने में सहायक है ।
शिवपुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली हो जाता
है।जिस मनुष्य ने सोने की चोरी करी है गोवध किए हैं अथवा अनेक प्रकार के सैकड़ों
पाप किए हैं उन को यह पवित्र बनाने में सहायक होता है । कुंडली में यदि शनि ग्रह
के कारण जीवन में समस्याएं आ रही हैं तो सात मुखी रुद्राक्ष
पहनने से लाभ प्राप्त होता है ।जो लोग कोर्ट-कचहरी के मामलों में फंसे हों या जो
जातक शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया या शनि की
महादशा से प्रभावित हैं उनके लिए यह रुद्राक्ष एक बेहद उपयोगी माना गया है। बुद्धि
लक्ष्मी प्राप्ति के मार्ग पर चलने लगती है ।सात मुखी धारण करने से मनुष्य
धन-धान्य से पूर्ण रहता है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष साक्षात् काल भैरव जी और गणेश जी
का स्वरुप है। ज्ञान प्राप्ति और एकाग्रता में यह विशेष रूप से सहायक है। हर
प्रकार के व्यवसाय को बढ़ाने में मददगार है। जीवन में आ रही प्रत्येक प्रकार की
विघ्नों की शांति में उपयोगी है। इसे धारण मात्र से लेखन कला मै निपुणता तथा
रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है। यह रूद्राक्ष हर प्रकार से मुक्ति प्रदान करने
में सहायक है
9 मुखी रूद्राक्ष दुर्गा
जी प्रत्येक अवतार की शक्ति से समाहित 9 मुखी रूद्राक्ष वीरता
साहस यश की वृद्धि करता है बात बात में दिल घबरा जाना आदि रोगों में यह
रुद्राक्ष लाभकारी है शत्रुओं की शक्ति का हनन करने उनका घमंड दूर करने तथा
मुकदमे में सफलता हेतु यह रूद्राक्ष उपयोगी है
10 मुखी रुद्राक्ष साक्षात
भगवान विष्णु का रूप माना गया है। इसको धारण करने से दसों दिशाओं में यश मान
सम्मान वैभव की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य इसे विधि पूर्वक धारण करते हैं उन पर
मारण मोहन वशीकरण जैसी तांत्रिक प्रक्रियाओं का प्रभाव नहीं पड़ता । महालक्ष्मी को
अनपगामिनीम् कहा गया है अथार्थ वे सदैव विष्णु जी के साथ रहती हैं
इसलिए जातक इसको धारण करने से रूद्राक्ष भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की
कृपा एक साथ प्राप्त करता है ।
11 मुखी रुद्राक्ष यह
रुद्राक्ष साक्षात रूद्र स्वरुप माना गया है ।जिनके जीवन में संघर्ष अधिक रहता हो
स्वभाव ग़मगीन रहता हो असफलता जीवन का अंग बन गई हो ऐसे जातक को विधिपूर्वक 11 मुखी रुद्राक्ष धारण
करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है । स्त्रियों के लिए यह रुद्राक्ष
सर्वाधिक महत्वपूर्ण है पति की सुरक्षा उन्नति और सौभाग्य प्राप्ति के लिए यह
उपयोगी है
12 मुखी रुद्राक्ष भगवान
सूर्य की स्वरूप 12 मुखी रुद्राक्ष अत्यंत
चमत्कारी है। भगवान सूर्य पंच देवताओं में प्रत्यक्ष देव हैं। रुद्राष्टाध्याई में
चौथा अध्याय इन को समर्पित है ।भगवान सूर्य जीवन प्रदाता है ।12 मुखी रुद्राक्ष पहनने
से यश मान सम्मान की प्राप्ति होती है, आत्म बल में वृद्धि
होती है रोगों का नाश होता है। रोजगार में सहायता मिलती है। ऐसे रुद्राक्ष के धारण
करता को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। समाज में मान सम्मान की प्राप्ति
के साथ ही अपनी वाणी से लोगों को अपने पक्ष में कर लेने की क्षमता उत्पन्न होती है
13 मुखी रुद्राक्ष काम देव
का प्रतीक है। सौभाग्यशाली लोगों के पास ही यह रुद्राक्ष पाया जाता है । इसको धारण
करने से अनेकों लाभ हैं ।इच्छा पूर्ति में यह रुद्राक्ष विशेष सहायक है। धन यश मान
उन्नति प्रतिष्ठा प्राप्ति के लिए रुद्राक्ष विशेष उपयोगी माना गया है। इस
रुद्राक्ष पर कामदेव के साथ उनकी पत्नी रति का भी निवास है इस कारण यह रुद्राक्ष
दांपत्य जीवन की समस्त प्रकार की खुशियां प्रदान करने में सक्षम हैं। इस रुद्राक्ष
पर देवेंद्र इंद्र का भी आशीर्वाद है। यह रुद्राक्ष समस्त भौतिक सुखों, धन प्राप्ति, माता लक्ष्मी की कृपा
प्राप्त कराने में सक्षम है। जो लोग साधना में रत हैं और किसी कारण से सफलता नहीं
मिल पाती हो ऐसे लोगों को फल प्राप्ति के लिए इस रुद्राक्ष की सहायता लेनी चाहिए
14 मुखी रुद्राक्ष ऐसा माना जाता है कि यह रुद्राक्ष आशुतोष भगवान शिव की आंखों से उत्पन्न हुआ है। इसके बारे में कुछ लिखना सूर्य को दीपक दिखाने के बराबर है। परम गुणों से युक्त अत्यंत बलशाली यह रुद्राक्ष मिलना वास्तव में बहुत कठिन है। अगर आपको यह रुद्राक्ष मिल जाए तो आप अपने आप को परम भाग्यशाली समझे । इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्वास्थ्य लाभ रोग मुक्ति प्राप्त होती है और इसको धारण करता उन्नति के मार्ग पर निरंतर बढ़ता चला जाता है। ऐसा माना जाता है इस रुद्राक्ष को धारण करने से जातक निरोगी रहता है यह रुद्राक्ष हनुमान जी का स्वरूप माना गया है भूत पिशाच डाकिनी शाकिनी से रक्षा करने के अलावा विपत्ति और दुर्घटना से बचाव के लिए भी इस रुद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं ।इसका धारण करता शिव रूप हो जाता है ।जो लोग शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित हैं जिनकी कुंडली में शनि की दशा चल रही हो जिनकी कुंडली में शनि और मंगल एक साथ बैठे हो या एक दूसरे को देखते हो ऐसे लोग ज्योतिष से सलाह करके इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
15 मुखी रुद्राक्ष के
फायदे बस शरीरिक लाभ
ही नहीं देते, बल्कि
आपकी आत्मा को भी शांति
पहुंचाते हैं।
आत्मिक ऊंचाई: 15 मुखी रुद्राक्ष आपको
आपकी आध्यात्मिक यात्रा में गहराई देता
है, आपकी आत्मा को
ऊंचाई पहुंचाता है।
धन का वरदान:
व्यापार में वृद्धि और
धन की बरकत के
लिए इसे माना जाता
है।
दिल की शक्ति:
यह आपके ह्रदय को
मजबूती देता है, ताकि
आप जीवन की हर
चुनौती का सामना कर
सकें।
शांति और संतुलन: चिंता,
तनाव और असंतुलन से
छुटकारा पाने की कुंजी।
स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक स्वास्थ्य
को बेहतर बनाने में भी इसकी
भूमिका होती है।
15 मुखी रुद्राक्ष का धारण करना मानव जीवन की एक अनुपम यात्रा की शुरुआत होती है। इसे पहनना मानो आप अपनी जिंदगी की सबसे महत्वपूर्ण खोज में निकले हैं। इसकी शक्तियाँ आपके जीवन को नई दिशा देंगी, नए रास्ते दिखाएंगे।